1987 बैच के चर्चित आईपीएस गुप्तेश्वर पांडेय ने आखिर वीआरएस ले ही लिया। जिस बात का अंदेशा था आखिर में वही हुआ। पिछले काफी समय से इस बात की चर्चा चल रही थी कि बिहार के डीजीपी का जल्द राजनीति में पदार्पण देखने मिल सकता है। इस तरह की चर्चाओं से कल उस वक्त पर्दा हट गया जब देर शाम गृह विभाग की ओर से इस बात की पुष्टि कर दी गई। वर्तमान में बिहार के पुलिस महानिदेशक के पद पर कार्यरत डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने कल यानी मंगलवार को ही स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की अर्जी लगाई थी। जिसे राज्यपाल महोदय ने उसी दिन स्वीकार भी कर लिया।
बता दें कि वीआरएस लेने के लिए करीब 3 महीने पहले आवेदन करने का नियम है। मगर पांडेय को इस नियम में भी छूट मिल गई। हालांकि ये छूट किस आधार पर दी गई। फिलहाल इस बात की जानकारी नहीं मिल पाई है।अब गुप्तेश्वर पांडेय की जगह संजीव कुमार सिंघल को डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। सिंघल बिहार पुलिस में वरिष्ठ अधिकारी हैं और वर्तमान में नागरिक सुरक्षा एवं अग्निशमन सेवा के डीजी के पद पर कार्यरत हैं।
क्यों दिया इस्तीफा ?
गुप्तेश्वर पांडेय का झुकाव राजनीति की ओर पहले से ही रहा है। यही कारण था कि वह प्रशासनिक सेवा के दौरान भी खुलकर बयानबाजी करते रहे। कहीं न कहीं इस बात का फायदा उन्हें मिला भी। ये पहली बार नहीं है जब पांडेय ने इस्तीफा दिया हो। इसके पहले 2009 में भी वह इस्तीफा दे चुके हैं। उस समय वह डीजी के पद पर कार्यरत थे और भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर सीधे लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे, मगर टिकट नहीं मिली, लेकिन वापस सेवा में लेने एवं डीजीपी बनाने का भरोसा जरूर मिल गया था।
यही वजह थी कि नीतीश सरकार में 9 महीने बाद उन्हें वापस पुलिस सेवा के लिए बहाल कर दिया और 2019 में उन्हें डीजीपी बना दिया गया। ऐसे में बतौर डीजीपी उनका कार्यकाल 28 फरवरी 2021 तक का था। मगर उससे पहले ही उन्होंने वीआरएस ले लिया। इस बार उनके इस्तीफे की वजह विधानसभा चुनावों को माना जा रहा है। पांडेय राजनीति में आना चाहते थे मगर सफलता नहीं मिल पाई। सूत्रों की मानें तो इस बार पांडे के पैर अधिक मजबूत माने जा रहे हैं। वहीं कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार की ओर से उन्हें हरी झंडी मिल भी चुकी है।
गृह जिले का किया दौरा :
हाल ही में बतौर डीजीपी DGP उन्होंने अपने गृह जिले बक्सर का दौरा किया था। उस समय ये कहा जा रहा था कि उनका ये दौरा राजनीति को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। मगर जब उनसे इस का स्पष्टीकरण मांगा गया कि क्या वह राजनीति में आना चाहते हैं तो उन्होंने इस बात से साफ इनकार कर दिया था। इसके अलावा उन्होंने यहां के जदयू के जिलाध्यक्ष से भी मुलाकात करी थी और जब वापस पटना लौटे तो जदयू के ही कई बड़े नेताओं से भी मिले।
इसलिए आए चर्चा में :
गुप्तेश्वर पांडेय Gupteshwar Pandey वैसे तो अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते रहे हैं मगर पिछले कुछ दिनों में वह सुशांत सिंह की मौत के मामले में कई मुद्दों पर मुखर होते दिखाई दिए। इस दौरान उन्हें महाराष्ट्र सरकार पर भी हमला बोलते हुए देखा गया। इस पूरे मामले में वह खूब चर्चा में रहे। जानकारों का कहना है कि नीतीश सरकार पांडेय के माध्यम से इसे भुनाने का पूरा प्रयास करेगी।