Delhi Riots: दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर लगातार पुलिस पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कुछ महीने पहले मुंबई में सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में मुंबई पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए गए थे। वहीं राजस्थान विधानसभा में एक विधायक पुलिसिया सिस्टम पर राजनीतिक दबाव की बात कह चुके हैं। ऐसे में 23 से 26 फरवरी के बीच हुए दिल्ली दंगों की जांच पर सवाल न उठें, ऐसा भला कैसे हो सकता है। मगर जब सवाल उठाने वालों को ही पुलिस अपनी चार्जशीट में दाखिल कर ले तो फिर जांच पर सवाल उठने लाजमी हैं।
फरवरी माह में भड़के इन दंगों में 53 लागों की जान गई थी। वहीं 581 लोग घायल हुए थे। दिल्ली पुलिस की ओर से इन दंगों की जांच की गई। साथ ही पुलिस की ओर से चार्जशीट भी दाखिल कर दी गई। मगर जिस प्रकार दंगों की तस्वीर सामने आईं और लोगों की जानें गईं। उसे देखकर ये कतई नहीं कहा जा सकता कि ये कोई आम हिंसक घटना थी। मालूम पड़ता है कि इसे एक सोची समझी साजिश के तहत अंजाम दिया गया हो। फिर इसकी सीबीआई जांच क्यों नहीं?
इसलिए खड़े हुए सवाल :
जब से इन दंगों की जांच शुरू हुई तब से लगातार दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाए जा रहे हैं। दिल्ली पुलिस ने इससे जुड़े मामलों में हाल ही में एडिशनल चार्जशीट फाइल की है। इसमें स्वराज इंडिया पार्टी के प्रमुख योगेंद्र यादव और सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी समेत तमाम लोगों के नाम शामिल हैं। जो ये कहते रहें हैं कि दिल्ली पुलिस सही दिशा में इन्वेस्टिगेशन नहीं कर रही। मीडिया ने भी योगेंद्र यादव और सीताराम येचुरी को दिल्ली दंगों में शामिल होने का सर्टिफिकेट दे दिया। मगर जब हकीकत सामने आई तो पता चला कि योगेंद्र यादव और सीताराम येचुरी का नाम केवल उन्हें शांत करने के लिए डाला गया है ताकि ये लोग इस मामले में किसी प्रकार का कोई अडंगा न लगाएं।
Delhi Police’s Rebuttal to the news item published in Indian Express dated 12.09.2020 captioned
— #DilKiPolice Delhi Police (@DelhiPolice) September 13, 2020
Delhi riots: Police name Yechury, Yogendra Yadav, Jayanti Ghosh, in supplementary chargesheet . pic.twitter.com/ZvNgIFq8vH
बेवजह नाम डाले जाने को लेकर दिल्ली पुलिस की किरकिरी हुई तो पुलिस को ये स्पष्ट करना पड़ा कि योगेंद्र यादव, सीताराम येचुरी और जयति घोष का नाम चार्जशीट में किसी भी प्रकार के आरोपी के तौर पर शामिल नहीं किया गया है। इतना ही नहीं पीटीआई ने तो ये तक लिख दिया कि इन सभी को दिल्ली दंगों में सह-षड्यंत्रकारी यानी को-कॉन्सपिरेटर्स बनाया गया है। इसके बाद खुद योगेंद्र यादव को बताना पड़ा कि ये सच नहीं है और ट्वीट कर लिखा कि..
This is factually incorrect report, hope @PTI_News withdraws it.
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) September 12, 2020
Supplementary chargesheet does NOT mention me as co-conspirator, or even as accused. One passing reference to me and Yechury, in an unauthenticated police statement (not admissible in court) by one accused. https://t.co/QurXmQdOr2
अब इस जांच के संबंध में नौ रिटायर्ड आईपीएस अधिकारियों ने दिल्ली के पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव को एक चिट्ठी लिखी है। इनमें शफी आलम, के. सलीम अली, मोहिंदरपाल, एएस दुलत, आलोक बी. लाल, अमिताभ माथुर, पीजीजे नाम्पूथिरी, एके समंथा, अविनाश मोहंती का नाम शामिल है। इन्होंने अपनी चिट्ठी में जो लिखा है उसके कुछ अंश इस प्रकार हैं।
चिट्ठी के मुख्य अंश हिन्दी में..
‘हम सब इंडियन पुलिस सर्विस से रिटायर्ड अधिकारी हैं. रिटायर्ड अधिकारियों के समूह (सीसीजी) की ओर से दिल्ली दंगों की जांच में गड़बड़ी को लेकर जो चिट्ठी लिखी थी, हम उसका समर्थन करते हैं। दिल्ली पुलिस की तरफ से दंगों की जांच के संबंध में कोर्ट में जो चालान या जांच प्रस्तुत की जा रही है, उसे पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित कहा जा रहा है। ये भारतीय पुलिस के लिए दुख और चिंता की बात है। ये सेवारत और रिटायर्ड पुलिसकर्मियों के लिए चिंता की बात है। ऐसी जांच से लोगों का लोकतंत्र, न्याय और संविधान से भरोसा उठ जाएगा।’