— अभ्यर्थियों के साथ परिजन भी भुगत रहे सजा..
जयपुर. राजस्थान सरकार द्वारा 2018 में 5 हजार प्राध्यापकों की भर्ती की घोषणा करी थी। जिसकी परीक्षाओं की तारीख जनवरी 2020 में तय कर दी। ज्ञात रहे इससे पहले भी एक बार इस परीक्षा को आगे बढ़ाया गया था। एक बार फिर परीक्षा के करीब एक महीने पहले ही भर्ती को लेकर स्टूडेंट्स ने हल्ला बोल दिया है। पिछले करीब तीन दिन से राजस्थान यूनिवर्सिटी में धरने पर बैठे छात्रों ने सरकार के समक्ष तीन मांगें रखी हैं।
पहली मांग है कि आयोग द्वारा दी गई परीक्षा की तारीख को जनवरी 2020 से बढ़ाकर जुलाई 2020 किया जाए। क्योंकि इस भर्ती परीक्षा में करीब सवा लाख अभ्यर्थियों को और शामिल किया गया है, इस संबंध में स्टूडेंट्स का कहना है कि इससे उन्हें परीक्षा की तैयारी के लिए थोड़ा और समय मिल सकेगा।
स्टूडेंट्स की दूसरी मांग है कि जब सवा लाख अभ्यर्थी और शामिल हो गए तो निकाली गई भर्ती में पदों की संख्या को 5 से बढ़ाकर कम से कम 10 हजार यानि दुगुना किया जाए। साथ ही फिलॉसफी और उर्दू विषय के पद भी सृजित किए जाएं।
वहीं तीसरी एक विशेष मांग है कि राजस्थान के अलावा बाहरी प्रदेशों से आने वाले स्टूडेंट्स का कोटा सीमित कर सुनिश्चित किया जाए।
आंदोलनरत छात्रों का कहना है कि सरकार इस विषय में जल्द से जल्द गंभीरता दिखाते हुए कोई निष्कर्ष निकाले। यदि सरकार ऐसा नहीं करती है तो उन्हें आमरण अनशन के लिए मजबूर होना पड़ेगा। धरनास्थल पर छात्राएं एवं महिलाएं भी शामिल हैं जो अपनी फैमिलीज को लेकर यहां डटे हुए हैं। महिलाओं के साथ छोटे-छोटे बच्चे भी हैं जो सर्दी में सजा भुगत रहे हैं।
जल्द से जल्द दूर हों खामियां
इस प्रतियोगी परीक्षा में कई प्रकार की खामियां हैं। जिन्हें जल्द से जल्द दूर किया जाए। इस संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत एवं शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा से भी मिलने का समय मांगा है। सरकार स्टूडेंट्स के हितों में फैसला करेगी, ऐसा हमारा विश्वास है।
—महावीर गुर्जर, महासचिव राजस्थान यूनिवर्सिटी