राजस्थान का एक गांव ऐसा भी है जो अपने यहां पैदा होने वाली गाजरों की वजह से जाना जाता है। आपने सही पढ़ा, इस गांव को इसी वजह से गाजरावाला के नाम से जानने लगे हैं। साधुवाली नाम के इस गांव की गाजरों ने पूरे देश में अपनी अलग पहचान बनाई है। यूं तो गाजरों में सभी जगह मिठास होती है, लेकिन यहां पैदा होने वाली गाजरों में अपनी अलग मिठास है। इसी खास मिठास की वजह से गांव देशभर में अलग पहचान कायम कर रहा है। श्रीगंगानगर में राजस्थान-पंजाब सीमा के नजदीक बसे साधुवाली गांव में रहने वालों के लिए मुख्य रोजगार खेतीबाड़ी ही है।
बीते कुछ सालों से यहां के किसान परंपरागत खेती के साथ गाजर उत्पादन भी कर रहे हैं। साधुवाली नाम के इस गांव की गाजर अपनी मिठास से देश भर में पहचान बना रही हैं। यहां के किसान गाजर की पैकिंग करके सप्लाई करते हैं। जिससे साधुवाली गांव को ‘गाजरवाला गांव’ भी कहा जाने लगा है।
गाजर की मिठास का कारण गांव में आने वाला नहर का पानी माना जा रहा है। वहीं यहां भूमि में नमी भी रहती है और ठंड से गाजर में मिठास व रंग, दोनों ही अच्छे आते हैं। इस इलाके में गंगनहर के पास गाजरों की मंडी लगती है। गाजर की बंपर फसल भी दिसंबर से फरवरी में आती है।
गाजर धुलाई की बनाई मशीन :
खेती के साथ गांव के किसानों ने गाजर धोने की मशीन भी बनाई है। किसानों ने गाजर को पैकिंग से पहले धोने में काफी समस्या आती थी। जिससे उसकी पैकिंग की जा सके। इसका समाधान भी किसानों ने ही निकाल लिया है। धुलाई की मशीन को इंजन के सहारे चलाते हैं, जिसमें एक साथ कई क्विंटल गाजर धोई जा सकती है। जिससे उसमें चमक आ जाती है। इससे पहले गाजर धोने के लिए काफी मेहनत और वक्त लगता था।