– कैसे एक झटके में 12 साल की बच्ची ने अपने पिता को खो दिया
बीकानेर के पीबीएम अस्पताल के कोविड सेंटर में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर्स की लापरवाही व संवेदनहीनता के चलते सोमवार की सुबह कोरोना पॉजिटिव एक व्यक्ति की मौत हो गई। इसके पीछे अब एक बड़ी लापरवाही की खबर सामने आई है। जिसे जानकर इंसानियत शर्मसार हो जाए। हुआ यूं कि मुक्ताप्रसाद नगर निवासी एक व्यक्ति को कोरोना होने पर 16 जून को बीकानेर के पीबीएम अस्पताल के कोविड सेंटर में भर्ती किया गया था। जांच की गई तो पता चला कि उस व्यक्ति को कोरोना के अलावा अन्य कोई भी बीमारी नहीं थी। बता दें कि उसके साथ ही उसकी 12 वर्षीय पॉजीटिव बच्ची भी उसके साथ भर्ती थी।
बच्ची के अनुसार सोमवार की सुबह उसके पिता अपने बेड से उठकर टॉयलेट करने के लिए गए। जहां गंदगी होने के कारण वह फिसलकर फर्श पर गिर गए। करीब 15-20 मिनट तक जब वह वापस नहीं आए तो बच्ची को चिंता हुई और देखने के लिए टॉयलेट की तरफ गई। जहां उसने देखा कि उसके पिता फर्श पर गिरे हुए पड़े हैं। उसके बाद बच्ची भागते हुए डॉक्टर्स के पास गई और घटना के बारे में बताया, लेकिन हैरानी की बात है कि वहां मौजूद स्टाफ ने बच्ची की बात को ही अनसुना कर दिया।
जब बच्ची को लगा कि वो उसकी बात पर ध्यान नहीं दे रहे हैं तो उसने अपने मकान मालिक को फोन किया और पूरी बात बताई। मकान मालिक ने जिला कलेक्टर कुमारपाल गौतम को फोन पर अगवत करवाया। कलेक्टर ने तुरंत प्रभाव से संज्ञान लेते हुए पीबीएम अधीक्षक डॉ. मोहम्मद सलीम को तुरंत कोविड सेंटर पहुंचने को कहा।
कलेक्टर की फटकार के बाद जब शौचालय में अचेत पड़े व्यक्ति को बेड पर लेकर पहुंचे, जहां कुछ देर बाद ही व्यक्ति की मौत हो गई। परिजनों ने डॉक्टर्स पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यदि डॉक्टर्स बच्ची की बात को अनसुना नहीं करते तो पॉजीटिव व्यक्ति की जान बच सकती थी।
ये कैसे कोरोना वॉरियर्स :
इस तरह की घोर लापरवाही आए दिन अस्पतालों में देखने को मिल जाती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस घटना को देखकर ऐसे डॉक्टर्स को कोरोना वॉरियर्स कहलवाने का कोई हक नहीं है। बल्कि ऐसे लोगों पर सरकार एवं प्रशासन को कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही लोगों का मानना है कि इस तरह के तथाकथित डॉक्टर्स की वजह से लोगों के मन में एक अलग प्रकार की छवि बनती जा रही है।