मिट्टी की मूर्ति में भी जान फूंक देता था, आज उसी में लीन होना पड़ गया, जानें इस जादूगर के बारे में

मिट्टी की मूर्ति में भी जान फूंक देता था, आज उसी में लीन होना पड़ गया, जानें इस जादूगर के बारे में

बिल क्लिंटन भारत की यात्रा पर थे। राजस्थान की राजधानी में भी उनका आगमन हुआ। मगर उनके साथ जो वाकया हुआ शायद ही उन्होंने इस बारे में कभी सोचा होगा। जब वह जयपुर पहुंचे तो एक साधारण से दिखने वाले शख्स ने एक मूर्ति क्लिंटन के सामने रखी। जब उन्हें बताया गया कि यह मिट्टी से बनाई गई है तो वह उसे देख अभिभूत हो गए। जी हां, हम बात कर रहे हैं दिवंगत मूर्तिकार पद्मश्री अर्जुन प्रजापति की। जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। कोरोना के चलते 65 वर्ष की आयु में आज गुरुवार को उन्होंने अंतिम सांस ली।

क्लिंटन दंग रह गए :

आज उनकी स्मृति से जुड़े कुछ किस्से हम साक्षा कर रहे हैं। बताया जाता है कि लाइव डेमोंस्ट्रेशन के समय क्लिंटन को सामने बिठाकर महज 20 मिनट में उनकी हूबहू कलाकृति तैयार कर दी थी। जिसे देख क्लिंटन भी दंग रह गए थे और मिट्टी से सने हुए अर्जुन प्रजापति के हाथों को करीब 20 मिनट तक अपने हाथों में थामे रखा था।

Arjun Prajapati : ausamchar.com

जब ओम पुरी को सोने नहीं दिया :

ऐसा ही वाकया बॉलीवुड एक्टर ओम पुरी के साथ हुआ था। जब एक कार्यक्रम के दौरान वह जवाहर कला केंद्र में आए हुए थे और अर्जुन प्रजापति के सामने बैठकर बोले कि मैं थका हुआ हूं यदि ज्यादा समय लगा तो हो सकता है मुझे नींद आ जाए, इसलिए बुरा नहीं मानना और मुझे हल्का सा इशारा कर देना। मगर अर्जुन ने थोड़ी ही देर में उनकी हूबहू शक्ल मिट्टी की मूर्ति पर उकेर दी। जिसे देख ओम पुरी हैरान रह गए और खूब तारीफ की। मजाक करते हुए बोले कि तुमने तो मुझे आंख लगाने का भी वक्त नहीं दिया।

Bani Thani : ausamachar.com

ये थी खासियत :

अर्जुन की यही सबसे बड़ी खासियत थी वह किसी भी व्यक्ति को सामने बिठाकर महज 20 मिनट से भी कम समय में उसका क्लोन तैयार कर देते थे। इतना ही नहीं वह देश के पहले ऐसे मूर्तिकार थे जो मिट्टी की मूर्ति में जान फूंकने का काम करते थे। उन्होंने मूर्तिकला में नया प्रयोग करते हुए परंपरागत बणी ठणी शैली का बखूबी प्रयोग किया। जिसे देख हर कोई उनका मुरीद बन गया।

आईएएस बनाना चाहते थे :

बहुत ही कम लोगों को पता था कि अर्जुन को घर वाले आईएएस बनाना चाहते थे मगर वह मूर्तिकार बन गए। इसको लेकर जब एक पत्रकार ने उनसे सवाल किया तो उन्होंने बड़े ही सहजता से कहा कि मेरा जन्म ही मूर्ति कॉलोनी में हुआ है तो मैं आईएएस कैसे बन सकता हूं। इसका मतलब ये नहीं था कि वह पढ़ाई में कमजोर थे, बल्कि उन्हें इस कला के प्रति प्रेम इतना था कि वह इसे छोड़ नहीं पाए।

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