दिल्ली मेट्रो की तर्ज पर अब जयपुर मेट्रो रेल को-ऑपेरशन ने अपने गैर-किराया आय वृद्धि के क्षेत्र में मेट्रो स्टेशनों की सेमी नेमिंग और स्टेशन ब्रांडिंग के अधिकार लाइसेन्स पर देने का निर्णय लिया है। इसके अंतर्गत लाईसेंसी स्टेशनों के नाम के पहले या बाद में ब्रांड का नाम लगाया जा सकेगा। इसके लिए सबसे पहले मानसरोवर मेट्रो स्टेशन को चुना गया है।
इससे न सिर्फ मेट्रो स्टेशन्स को ब्रांड के नाम से सीधे मुनाफा होगा बल्कि कई तरह के बेनीफिट्स भी मिलेंगे। ब्रांड के थीम के अनुसार स्टेशन का रंग-रोगन करके उनको सजाया जाएगा। साथ ही लाइसेंस धारी स्टेशन के बाहर और अन्दर अपना विज्ञापन डिस्प्ले कर पाएंगे और स्टेशन के प्रवेश द्वार पर नीऑन साइनेज में ब्रांड लोगो और टैगलाइन लगा सकेंगे। जिससे स्टेशन्स की सुन्दरता बड़ेगी एवं ‘जेएमआरसी’ को इसे मेन्टेन करने के बारे में ज्यादा सोचना भी नहीं पड़ेगा। इसकी तकनीकी बोली 19 दिसंबर 2019 से लगाई जा सकेगी।
जयपुर मेट्रो रेल को-ऑपेरशन का इन सबके पीछे मुख्य कारण है मेट्रो में बढ़ता नुकसान। ‘जेएमआरसी’ ने मेट्रो के फेज 1 के लिए एशियाई डेवलपमेंट बैंक से 969 करोड़ का लोन लिया था। जिसको वो अब तक चुका नहीं पाया है और पिछले 5 वर्षों में उन्हें सालाना 41 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ रहा है।