— दोनों निगमों में उठे सवाल, क्या फिर से बदलेगा सफाई व्यवस्था का ढर्रा?
Jaipur. जयपुर नगर निगम ग्रेटर की मेयर सौम्या गुर्जर ने हाल ही में सफाई व्यवस्था को लेकर जगह-जगह औचक निरीक्षण किए। इस दरम्यान जिस तरह के हालात मौके पर मिले। उसे देख मेयर खासी नाराज दिखीं। जब जिम्मेदार संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश जारी किए गए। लिहाजा सफाई व्यवस्था को लेकर जयपुर की दोनों नगर निगमों में पार्षदों ने अपने-अपने सुझाव आम सभा के पटल पर रखे। ऐसे में एक बार फिर से सफाई व्यवस्था में बड़े बदलाव के संकेत दिखाई दे रहे हैं।
बता दें कि शहर में कचरा संग्रहण का काम बीवीजी BVG कंपनी देख रही है। ऐसे में कंपनी के हूपर की टाईमिंग और कचरा संग्रहण को लेकर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं। ग्रेटर नगर निगम की बात करें तो मेयर के औचक निरीक्षण के दौरान हूपरों को पौने 9 बजे तक पंप पर पैट्रोल भरवाते पाया गया। जबकि नियमानुसार हूपरों को सुबह 7 बजे कचरा कलेक्शन के लिए निकलना होता है। वहीं हेरिटेज निगम की बात करें तो यहां भी पार्षदों ने कई तरह के सवाल कंपनी पर उठाए हैं।
क्या बोले पार्षद :
‘जयपुर नगर निगम ग्रेटर में कुल 7 जोन आते हैं। यहां हरेक जोन की अपनी अलग समस्या और अलग व्यवस्था है। ऐसे में यदि शहर की सफाई व्यवस्था का काम किसी एक कंपनी के हाथ में सौंप दिया जाए तो स्वाभाविक है कि वह मनमानी करेगी। इसलिए मेरा सुझाव है कि इसका टेंडर जोन लेवल पर किया जाए। साथ ही उनसे ये करार भी किया जाए कि जरूरत पड़ने पर वह दूसरे जोन का कार्य भी देख सके।’
रामावतार गुप्ता, ग्रेटर निगम पार्षद, वार्ड 70
‘कंपनी का काम ठीक नहीं है, इसीलिए हरेक महीने कंपनी पर पेनल्टी लगती है, उसके बावजूद कंपनी काम छोड़ने को तैयार नहीं है। इसका मतलब कोई तो झोल है! फिलहाल निगम के पास कोई बैकअप सिस्टम नहीं है, तब तक कंपनी से तय नियमों के साथ काम कराया जाए। यदि फिर भी काम नहीं करे तो दूसरा विकल्प देखकर हटा दिया जाए। चूंकि कंपनी हमारी कोई रिश्तेदार थोड़े है, जो इसी से काम कराया जाएगा।’
दशरथ सिंह शेखावत, हेरिटेज निगम पार्षद, वार्ड 42