– शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री गहलोत से कही ये बात..
राजस्थान में शिक्षकों की ड्यूटी को लेकर अब एक और नया मामला सामने आया है। ये मामला भी कोटा जिले से है। जहां अब शिक्षकों को रेलवे स्टेशन पर डाटा कलेक्ट करना होगा। बता दें कि इससे पहले कोटा के इटावा में प्रशासन ने शिक्षकों की ड्यूटी टिड्डी नियंत्रण दल में लगा दी थी। वहीं इससे पहले धौलपुर में भी मनरेगा की मॉनिटरिंग में ड्यूटी लगाने का मामला सामने आया था। इस तरह से शिक्षकों की ऊलजलूल ड्यूटी लगाने को लेकर प्रदेश के करीब 4 लाख शिक्षकों में असंतोष फैल रहा है। और अब इस संबंध में उन्होंने रविवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ज्ञापन भेजा है।
यह ज्ञापन राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ की ओर से दिया गया है। जिसमें शिक्षक पद की गरिमा को जिला प्रशासन द्वारा लगातार खंडित करने की बात कही गई है। साथ ही मांग की गई है कि इस संबंध में सरकार स्पष्ट रूप से दिशा निर्देश जारी करे।
शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष शशिभूषण शर्मा ने बताया कि बड़े खेद का विषय है कि प्रदेश के एकाधिक जिला प्रशासन एक के बाद एक शिक्षक पद की गरिमा को खंडित करने पर तुले हुए हैं। प्रशासन के अधिकारीगण शिक्षकों को ‘बंधुआ मजदूर’ मान बैठे हैं। राजस्थान में शिक्षक अपने आप को अब अपमानित महसूस करने लग गए हैं।
यहां-यहां लगाई ड्यूटी :
- धौलपुर जिले के राज खेड़ा पंचायत समिति के बीडीओ ने शिक्षकों की ड्यूटी मनरेगा में मॉनिटरिंग कार्य में लगा दी थी। आदेश के विरुद्ध शिक्षक एकजुट हुए और आदेश वापिस लेना पड़ा। इसमें शिक्षा राज्यमंत्री का भी हस्तक्षेप रहा।
- चंद दिनों के बाद एसडीएम इटावा (कोटा) ने शिक्षकों को टिड्डी मार कार्यक्रम में झोंकने के आदेश जारी कर दिए। जिसके विरोध में भी सीएम को विरोध पत्र लिखा गया था।
- एसडीएम छोटी सादड़ी (प्रतापगढ़) ने बाढ़ एवं अतिवृष्टि नियंत्रण कक्ष में शिक्षकों की ड्यूटी लगाने के आदेश जारी कर दिए हैं। ज्ञातव्य रहे कि इससे पहले शिक्षकों की मल मूत्र संग्रह करने मे भी डयूटी लगाई गई थी। जिसका पूरे प्रदेश में शिक्षकों द्वारा तीव्र विरोध किया गया था और आदेश प्रत्याहरित हुए यानि वापस लेने पड़े।
- अब कोटा प्रशासन द्वारा दैनिक रेल यात्रियों के डाटा संधारण में ड्यूटी लगाई गई है।
शिक्षक को शिक्षक ही रहने दें :
संगठन के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षा 18 जून से शुरू होने वाली हैं। ऐसे में विद्यालय 15 जून से खुल जाएंगे। राज्य में करीब दो लाख शिक्षक कोराना वॉरियर्स के रूप में ड्यूटी दे रहे हैं। अतः सभी शिक्षकों को कोरोना ड्यूटी से मुक्त कर 14 दिन के होम आइशोलशन में भेजा जाए। ताकि बोर्ड परीक्षा में आने वाले बच्चों के लिए शिक्षक कोराना संक्रमित की भूमिका में नहीं रहें।
अत: सीएम से पुरजोर शब्दों में संगठन का निवेदन है कि शिक्षकों को शिक्षक ही रहने देवें। शिक्षक पद की गरिमा बचाना प्रदेश के मुखिया होने के नाते अति आवश्यक है। जिला प्रशासन को स्पष्ट आदेश जारी करवाएं की वे ऊलजलूल आदेश जारी न करें। ताकि शिक्षक पद की गरिमा बनी रहे। ज्ञातव्य रहे कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश हैं कि शिक्षक को गैर शैक्षणिक कार्य मुक्त रखा जाये।