चित्तौडगढ़. राजस्थान के चित्तौडगढ़ स्थित सैनिक स्कूल में नए सत्र से ऐसा होने जा रहा है जो इससे पहले कभी नहीं हुआ। चित्तौडगढ़ का सैनिक स्कूल नाम देश के उन पांच स्कूलों में शामिल है जो देश में सबसे पहले खोले गए। इनकी स्थापना 1961 में हुई। यहां केवल 12वीं तक की पढ़ाई होती है। पढ़ाई के साथ ही यहां राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रवेश के लिए भी तैयारी कराई जाती है।
लेकिन आने वाले सत्र से पहली बार यहां 91 लड़कियों को प्रवेश दिया जाएगा। लड़कियों के लिए अब सेना में जाने की राह और भी आसान हो जाएगी। इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 12 करोड़ रुपये की स्वीकृति जारी कर दी है।
आपको बता दें कि अभी तक यहां छात्रों को ही प्रवेश दिया जाता था। हाल ही में सैनिक स्कूलों में छात्राओं को भी प्रवेश देने के लिए रक्षा मंत्रालय ने सभी सैनिक स्कूलों के प्राचार्यों को पत्र लिखकर राज्य सरकारों से सहमति लेने के निर्देश दिए थे। सरकार ने भी सैनिक स्कूल सोसायटी को अपनी सहमति दे दी। जिसके बाद सोसायटी ने सीटें बढ़ाने को मंजूरी दी।
सीटों के साथ बढ़ाई सुविधाएं :
सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में आदर्श छात्र संख्या 600 से बढ़ाकर 700 कर दी गई है। इनकी कुल सीटों का 13 प्रतिशत यानि 91 सीटें लड़कियों के लिए रखी गई हैं। स्कूल में आधारभूत ढांचे के विस्तार के लिए सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ के प्राचार्य ने 11 करोड़ रुपये के अनावर्तक व्यय और प्रतिवर्ष होने वाले एक करोड़ रुपये के आवर्तक व्यय के रूप में कुल 12 करोड़ रुपये का प्रस्ताव माध्यमिक शिक्षा (सैनिक स्कूल विभाग) को भेजा था। विभाग ने इस संबंध में प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजकर 12 करोड़ रूपये के वित्तीय भार की मंजूरी मांगी थी। वित्त विभाग के साथ ही मुख्यमंत्री ने भी इसकी मंजूरी दे दी है। जिससे सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में लड़कियों के पढ़ने की राह अब आसान हो गई है।
गौरतलब है कि सैनिक स्कूल में लड़कियों की पढ़ाई पर होने वाले सभी खर्चों का दायित्व राज्य सरकार का रह सकता है।